शिव आरती No Further a Mystery

भावार्थ—आपके स्वर्ण के समान कान्तिमान् अंगपर सुन्दर वेश–भूषा, कानों में कुण्डल और घुँघराले केश सुशोभित हो रहे हैं।

अर्थ- आपका भजन करने से श्री राम जी प्राप्त होते है और जन्म जन्मांतर के दुख दूर होते है।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौ पवन कुमार ।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन-कुमार

शनिवार के दिन हनुमान चालीसा पढ़े से शनि साढ़ेसाती अउर ढैया का प्रकोप भी कम होत है।

 “हे महावीर बजरंग बली जी!आप विशेष पराक्रम वाले है। आप खराब बुद्धि को दूर कर देते है, और अच्छी बुद्धि वालो के साथी एवं सहायक है।”

सियराम–सरूपु अगाध अनूप बिलोचन–मीननको जलु है।

भावार्थ – आपके भजन से लोग श्री राम को प्राप्त कर लेते हैं और अपने जन्म जन्मान्तर के दुःखाँ को भूल जाते हैं अर्थात् उन दु:खों से उन्हें मुक्ति मिल जाती है।

व्याख्या – जो मन से सोचते हैं वही वाणी से बोलते हैं तथा वही कर्म करते हैं ऐसे महात्मागण को हनुमान जी संकट से छुड़ाते हैं। जो मन में कुछ सोचते हैं, वाणी से कुछ दूसरी बात बोलते हैं तथा कर्म कुछ और करते हैं, वे दुरात्मा हैं। वे संकट से नहीं छूटते।

प्रदोषस्तोत्राष्टकम्‌ : यह है भगवान शिव का प्रिय स्तोत्र, आपको भी अवश्य पढ़ना चाहिए

ब्रह्मा ने रुद्राक्ष की माला, विष्णु website ने सुगन्धित पुष्पों की माला तो शिव ने, राक्षसों के कटे हुए सिर की माला पहनी हुई है।

मुक्ति के चार प्रकार हैं – सालोक्य, सामीप्य, सारूप्य एवं सायुज्य। यहाँ प्रायः सालोक्य मुक्ति से अभिप्राय है।

समझनी है जिंदगी तो पीछे देखो, जीनी है जिंदगी तो आगे देखो…।

 “आप को श्री राम चरित मानस को सुनने में आनन्द रस मिलता है।श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय में विद्यमान रहते है।”

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